पंचतंत्र की कहानी - "बूँदबूँद का सागर"
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बहुत समय पहले की बात है, एक सुनहरे युग में, जहां विशेषज्ञता और बुद्धिमत्ता का समय था। यह युग एक राजा के राज्य के चरणों में बड़ा ही आदरणीय था। राजा ने अपने दरबार में कई बुद्धिमान और ज्ञानी लोगों को बुलाया था, ताकि वह उनसे नई-नई सिखें और अपनी राजधानी को और भी समृद्धि और सुख-शांति से भर दे।
राजा के दरबार में एक विशेष पंडित था, जिसका नाम विश्वनिति था। विश्वनिति बहुतंतु और बुद्धिमान था, जिसके पास सभी प्रकार के ज्ञान का सागर था। राजा ने विश्वनिति से एक दिन कहा, "विश्वनिति, तुम्हें राज्य के लोगों को और भी बुद्धिमत्ता से भरा हुआ बनाने का कार्य करना है।"
विश्वनिति ने राजा के आदेश को मानते हुए अपनी बुद्धिमत्ता और ज्ञान से भरी एक कहानी का आयोजन किया। उनकी कहानी थी "बूँदबूँद का सागर"।
कहानी:
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक बूँदबूँद रहता था। यह बूँदबूँद बहुत ही निराश और उदास दिखता था क्योंकि वह समझता था कि उसका छोटा सा योगदान भी किसी के काम नहीं आता।
एक दिन, बूँदबूँद ने एक पुराने पेड़ से बातचीत करते हुए सुना कि पेड़ कितने दिनों से सुख रहा है क्योंकि उसके निचे एक सूखा हुआ कुण्ड है, जिसमें बूँदबूँद का सागर बह रहा है। पेड़ ने बताया कि बूँदबूँद का सागर सभी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, और हर बूँदबूँद का योगदान किसी न किसी रूप में होता है।
बूँदबूँद ने यह सुनकर अपने आत्म-समर्पण की भावना से सत्रंगी रंगों की छोटी-छोटी बूँदें बनाना शुरू की। वह नहीं चाहता था कि उसका योगदान छोटा हो, बल्कि उसने ठान लिया कि वह भी अपने छोटे से सागर के योगदान को बड़ा बनाएगा।
बूँदबूँद की मेहनत ने बहुत समय बाद उसे एक सुंदर रंगीन बूँद का सागर बना दिया। उसका यह सागर गाँववालों के दिलों को छू गया और सभी ने उसकी मेहनत की सराहना की।
एक दिन, बूँदबूँद ने देखा कि उसके सागर का पानी किसी तालाब में गिर रहा है और उस तालाब में रहने वाले मेंढ़कों को बहुत खुशी हो रही है। मेंढ़क ने बूँदबूँद से कहा, "तुम्हारा सागर हमें बहुत अच्छा लगा है। हम अब तालाब के किनारे का वातावरण बदलकर तुम्हारे सागर के पास रहेंगे।"
बूँदबूँद ने मेंढ़क से कहा, "धन्यवाद, पर मेरा उद्देश्य है सभी को सुख-शांति और समृद्धि प्रदान करना। तुम्हें यहाँ रहने में बहुत सुख होगा, पर मैं चाहता हूँ कि तुम अपना उद्देश्य बनाए रखो और दूसरों के साथ साझा करो।"
मेंढ़क ने बूँदबूँद की बात मानी और उसने भी अपने साथी मेंढ़कों को सहित करके एक साझा समुदाय बनाया। उन्होंने मिलकर तालाब को और भी सुंदर बना दिया और सभी ने एक-दूसरे का साथ दिया।
कुछ समय बाद, एक सूखा हुआ। तालाब का पानी बहुत ही कम हो गया और सभी जानवरों को बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने मिलकर मुश्किलों का सामना किया और एक बार फिर से तालाब को सुंदर और समृद्धि भरा बना दिया।
इस कहानी से सीख मिलती है कि हमें छोटे से योगदान को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि हर छोटी बूँद सागर का हिस्सा होती है और साथ मिलकर ही हम सभी किसी भी मुश्किल का सामना कर सकते हैं। यह हमें यह सिखाती है कि साझेदारी और सहयोग से ही सफलता मिलती है और समृद्धि आती है।
इस प्रकार, विश्वनिति ने राजा के दरबार में बूँदबूँद का सागर की कहानी सुनाई और सभी ने उसकी मेहनत को सराहा। राजा ने भी बूँदबूँद की बुद्धिमत्ता और आत्म-समर्पण को देखकर उसे बड़ा पुरस्कार दिया और राज्य के सभी लोगों को यह सिखाने का आदान-प्रदान किया कि हर किसी का योगदान महत्वपूर्ण होता है और सभी को मिलकर आगे बढ़ना होता है।
इस प्रकार, बूँदबूँद का सागर ने राजा के राज्य को और भी समृद्धि और खुशियों से भर दिया और विश्वनिति ने अपनी बुद्धिमत्ता के साथ राजा को नए दृष्टिकोण देने में सफलता प्राप्त की।
समापन:
इस प्रकार, बूँदबूँद का सागर की कहानी ने हमें यह सिखाया कि छोटे से योगदान में भी महत्वपूर्णता होती है और सभी को मिलकर आगे बढ़ना होता है। इसके साथ ही, साझेदारी और सहयोग से ही समृद्धि और सुख-शांति मिलती है।
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